नृत्य और संगीत (डांस एंड म्यूजिक)
नृत्य और संगीत
- भरतमुनि का नाट्यशास्त्र में नृत्य के तीन पहलुओं का वर्णन किया गया है:-
- नाट्य ,नृत्य के नाटकीय तत्व का निरूपण है।
- नृत्य के माध्यम से मुख्य अभिव्यक्ति हस्त मुद्रा और पैरों की स्थिति के द्वारा मनोदशा का वर्णन किया जाता है।
- नृत्य शुद्ध होता है इसके द्वारा ना किसी भाव का वर्णन किया जाता है ना किसी का अर्थ निकाला जाता है।
कथक:-
- यह उत्तर प्रदेश का एक परंपरागत शास्त्रीय नृत्य का स्वरूप है।
- इसके उद्भव के प्रमाण ब्रजभूमि की रासलीला से मिलती है।
- कथिक शब्द से कत्थक की उत्पत्ति हुई है जिसका अर्थ कहानी कहने वाला से है।
- इस नृत्य को ध्रुपद संगीत के साथ प्रस्तुत किया जाता है।
- मुगल काल के दौरान तराना ठुमरी और गजल जैसे संगीत भी प्रस्तुत किए जाते थे।
- हिंदू और मुस्लिम परंपराओं के मिश्रण वाला यह एकमात्र भारतीय शास्त्रीय नृत्य है।
- यह संगीत हिंदुस्तानी शैली पर आधारित एक मात्र शास्त्रीय नृत्य है।
- बिरजू महाराज ,लच्छू महाराज ,दमयंती जोशी आदि इस नृत्य से संबंधित प्रसिद्ध व्यक्ति है।
नोट:- प्रसिद्ध नृत्यांगना सितारा देवी की 97 जयंती पर गूगल ने डूडल बनाकर सम्मान दिया था ।सितारा देवी को रविंद्र नाथ टैगोर ने नृत्य की महारानी कहां है ।सितारा देवी को संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार ,पद्मश्री ,कालिदास सम्मान और इंडिया लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड से सम्मानित किया गया है।
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