जिनेवा कन्वेंशन
जिनेवा कन्वेंशन
- 1864 में युद्ध के समय घायलों या युद्ध बंदियों की मदद के लिए रेड क्रॉस के संस्थापक हेनरी ड्नेयूट के प्रयासों से जिनेवा कन्वेंशन की स्थापना हुई।
- 1864 और 1949 के बीच जिनेवा में संपन्न संधियों की एक श्रृंखला है जिनेवा अभीसमय।
- तीसरे जेनेवा सम्मेलन 1929 मैं संपन्न हुआ इसके अनुच्छेद 13 के अनुसार युद्ध के कैदियों(prisoners of wars: pow) के साथ हर समय मानवीय व्यवहार किया जाना चाहिए।
- 194 देश जिनेवा कन्वेंशन के दायरे में है।
- युद्ध में बंधे बनाने वाले देश द्वारा किसी भी गैर कानूनी कार्य या चूक के कारण मौत या उसकी हिरासत में युद्ध बंदी के स्वास्थ्य को गंभीर रूप से खतरे में डालना मना है ऐसा होने पर कन्वेंशन का एक गंभीर उल्लंघन माना जाता है।
- तीसरे जेनेवा सम्मेलन 1929 के अनुच्छेद 118 के अनुसार युद्ध के कैदियों को सक्रिय युद्ध की समाप्ति के बाद बिना देरी किए रिहा किए जाने का प्रावधान है।
- 27 मई 1999 को कारगिल युद्ध के दौरान mig-27 उड़ाने वाले कमांडर नचिकेता को पाकिस्तान ने पकड़ लिया था उसी वर्ष भारत को सौंप दिया गया था।
जेनेवा कन्वेंशन के उद्देश्य
- युद्ध में घायल और बीमार सैनिकों के उपचार के लिए उन्हें सभी स्तर पर प्रतिरक्षा प्रदान करना।
- युद्ध बीमारि या घायल सभी सैनिकों के साथ निष्पक्ष और उपचार की व्यवस्था करना।
- घायलों को सहायता प्रदान करने वाले नागरिकों की सुरक्षा करना
दूसरा जेनेवा कन्वेंशन 1906
- समुद्री युद्ध और उससे जुड़े प्रावधानों को शामिल किया गया यह कन्वर्जन समुद्र में घायल बीमार और जलपोत वाले सैन्य कर्मियों की रक्षा और अधिकार से संबंधित है।
चौथा जेनेवा कन्वेंशन 1949
- युद्ध में घायलों का उचित देखभाल करना ।इसमें नागरिक और सैन्य अधिकारी दोनों शामिल है ।बर्बरता पूर्ण व्यवहार पर रोक, अमानवीय बर्ताव पर रोक ,प्रताड़ना ,भेदभाव पर रोक ,कानूनी सुविधा मुहैया कराना अनिवार्य, डराया ,धमकाया नहीं जा सकता उन्हें अपमानित भी नहीं किया जा सकता ।युद्ध बंदी से सिर्फ नाम सैनिक पद, नंबर के बारे में पूछा जा सकता है।
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