लेबनान: परिचय, इतिहास और वर्तमान स्थिति

लेबनान: परिचय, इतिहास और वर्तमान स्थिति

परिचय:

लेबनान, जिसे आधिकारिक रूप से "लेबनीज़ गणराज्य" कहा जाता है, भूमध्य सागर के पूर्वी तट पर स्थित एक छोटा लेकिन महत्वपूर्ण देश है। अपने छोटे आकार के बावजूद, लेबनान ऐतिहासिक रूप से व्यापार और संस्कृति का एक महत्वपूर्ण केंद्र रहा है। इसकी जनसंख्या लगभग 70 लाख है, और यह विविध सांस्कृतिक धरोहर, विभिन्न धर्मों का मिश्रण, और प्राचीन सभ्यताओं से लेकर आधुनिक राजनीतिक संघर्षों से प्रभावित इतिहास के लिए जाना जाता है।

लेबनान उत्तर और पूर्व में सीरिया, दक्षिण में इज़राइल से घिरा है, और पश्चिम में भूमध्य सागर इसकी सीमा बनाता है। इसका रणनीतिक स्थान इसे व्यापार का केंद्र बनाने के साथ-साथ विदेशी शक्तियों के संघर्ष का मैदान भी बना चुका है। देश की राजधानी, बेरूत, दुनिया के सबसे पुराने शहरों में से एक है और यह लेबनान का सांस्कृतिक और आर्थिक केंद्र है।

लेबनान को अक्सर "मध्य पूर्व का स्विट्जरलैंड" कहा जाता है, खासकर इसके बैंकिंग सेक्टर और पर्यटन उद्योग के कारण, लेकिन यह देश लंबे समय से गृहयुद्ध, राजनीतिक अस्थिरता और विदेशी हस्तक्षेप का भी शिकार रहा है।

लेबनान का इतिहास:

प्राचीन लेबनान:

लेबनान का इतिहास हजारों साल पुराना है। यह क्षेत्र प्राचीन फोनीशिया का हिस्सा था, जो दुनिया की सबसे पुरानी सभ्यताओं में से एक थी। फोनीशियन अपने समुद्री व्यापार, नौकायन और पहले ज्ञात वर्णमाला के निर्माण के लिए प्रसिद्ध थे। उन्होंने बिब्लोस, टायर, और सिडोन जैसे प्रमुख शहरों की स्थापना की, जो भूमध्य सागर के महत्वपूर्ण व्यापारिक और सांस्कृतिक केंद्र बने।

फोनीशियनों ने व्यापार के माध्यम से अन्य सभ्यताओं की संस्कृतियों को प्रभावित किया, और उनकी वर्णमाला ने कला और धर्म को भी प्रभावित किया। समय के साथ, वे असिरियन, बेबीलोनियन, फारसी, ग्रीक, और रोमन साम्राज्यों द्वारा अधिग्रहीत कर लिए गए।

रोमन और बीजान्टिन काल:

फोनीशियन काल के बाद लेबनान रोमन साम्राज्य का हिस्सा बना। रोमन प्रभाव आज भी लेबनान में देखा जा सकता है, विशेषकर बालबेक शहर में, जहां कुछ विश्व के सबसे प्रभावशाली रोमन मंदिर स्थित हैं। रोमन साम्राज्य के विभाजन के बाद लेबनान बीजान्टिन साम्राज्य के अधीन आ गया।

इस्लामी और क्रूसेडर काल:

7वीं शताब्दी में इस क्षेत्र में इस्लाम का प्रसार हुआ, जब अरब मुस्लिम सेनाओं ने लेवेंट पर कब्जा कर लिया। इस दौरान नए शहरों का उदय हुआ और विभिन्न धार्मिक समूहों जैसे ईसाई, मुस्लिम और ड्रूज़ का सहअस्तित्व बना।  

क्रूसेड्स के समय लेबनान इसाई क्रूसेडरों और मुस्लिम सेनाओं के बीच युद्ध का मैदान बन गया। क्रूसेडरों ने यहाँ किले और किलेबंदी का निर्माण किया, जिनमें से कुछ आज भी मौजूद हैं, लेकिन अंततः मुस्लिम नेता सलाउद्दीन द्वारा उन्हें हटा दिया गया।

ओटोमन शासन:

16वीं शताब्दी से प्रथम विश्व युद्ध के अंत तक, लेबनान ओटोमन साम्राज्य का हिस्सा था। ओटोमन ने लगभग 400 वर्षों तक लेबनान पर शासन किया। हालांकि उन्होंने क्षेत्र को एक हद तक स्वायत्तता दी, लेकिन धार्मिक समूहों के बीच संघर्ष के कारण लेबनान में अस्थिरता बनी रही।

फ्रांसीसी जनादेश और स्वतंत्रता:

प्रथम विश्व युद्ध के बाद ओटोमन साम्राज्य के पतन के साथ, लेबनान पर लीग ऑफ नेशंस के जनादेश के तहत फ्रांसीसी नियंत्रण स्थापित हो गया। 1920 में "ग्रेटर लेबनान" की स्थापना की गई, जिसमें आधुनिक लेबनान का क्षेत्र शामिल था। 1943 में लेबनान ने फ्रांस से स्वतंत्रता प्राप्त की, हालांकि फ्रांसीसी प्रभाव राजनीति, शिक्षा, और संस्कृति के कई क्षेत्रों में बना रहा।

स्वतंत्रता के बाद का दौर:

1940 के दशक से 1970 के दशक की शुरुआत तक लेबनान ने समृद्धि और राजनीतिक स्थिरता का अनुभव किया। बेरूत मध्य पूर्व में एक प्रमुख वित्तीय और सांस्कृतिक केंद्र बन गया। हालांकि, विभिन्न धार्मिक और राजनीतिक समूहों के बीच तनाव, विशेष रूप से ईसाई और मुस्लिम समुदायों के बीच, बढ़ता गया। इन मतभेदों के कारण 1975 में लेबनान में गृहयुद्ध शुरू हो गया।

लेबनान का गृहयुद्ध (1975-1990):

लेबनान का गृहयुद्ध 15 वर्षों तक चला और यह देश के लिए विनाशकारी साबित हुआ। यह युद्ध विभिन्न धार्मिक और राजनीतिक गुटों के बीच हिंसा से चिह्नित था और इसमें इज़राइल, सीरिया, और ईरान जैसी विदेशी शक्तियों का हस्तक्षेप भी हुआ। इस युद्ध ने व्यापक पैमाने पर जनहानि, बुनियादी ढांचे की तबाही, और लाखों लोगों के विस्थापन का कारण बना। कभी समृद्ध रहा बेरूत शहर इस युद्ध की विनाशकता का प्रतीक बन गया।

1990 में "ताइफ समझौते" के साथ गृहयुद्ध का आधिकारिक अंत हुआ, जिसने राजनीतिक प्रणाली को पुनर्गठित किया और लेबनान के धार्मिक समुदायों के बीच सत्ता संतुलन को बनाए रखने की कोशिश की। हालांकि, इस युद्ध ने लेबनान के समाज और राजनीति पर गहरा प्रभाव छोड़ा, जो आज भी महसूस किया जाता है।

आधुनिक लेबनान:

राजनीतिक प्रणाली:

लेबनान की राजनीतिक प्रणाली को "संप्रदायवाद" कहा जाता है, जो देश के विभिन्न धार्मिक समूहों के बीच शक्ति-साझाकरण सुनिश्चित करने के लिए डिजाइन की गई है। राष्ट्रपति को मारोनाइट ईसाई, प्रधानमंत्री को सुन्नी मुस्लिम, और संसद अध्यक्ष को शिया मुस्लिम होना चाहिए। यह प्रणाली संघर्ष को रोकने के लिए बनाई गई थी, लेकिन यह अक्सर राजनीतिक गतिरोध, भ्रष्टाचार और अक्षम शासन का कारण बनती है।

गृहयुद्ध के अंत के बाद से लेबनान ने कई राजनीतिक संकटों का सामना किया है, जिसमें विदेशी हस्तक्षेप, राजनीतिक नेताओं की हत्याएं, और इज़राइल के साथ संघर्ष शामिल हैं। इनमें से एक सबसे महत्वपूर्ण घटना 2005 में पूर्व प्रधानमंत्री रफीक हरीरी की हत्या थी, जिसने व्यापक विरोध प्रदर्शन और सीरियाई सैनिकों की वापसी का नेतृत्व किया।

हिज़्बुल्लाह:

लेबनान में एक प्रमुख राजनीतिक और सैन्य शक्ति हिज़्बुल्लाह है, जो एक शिया मुस्लिम राजनीतिक पार्टी और सशस्त्र समूह है। इसे ईरान और सीरिया का समर्थन प्राप्त है। हिज़्बुल्लाह का गठन 1980 के दशक में इज़राइल के लेबनान पर आक्रमण के जवाब में हुआ था। यह समूह लेबनान की राजनीति में एक केंद्रीय भूमिका निभाता है और अपनी सैन्य क्षमताओं के कारण विवादों में घिरा रहता है। हालांकि कई पश्चिमी देशों द्वारा इसे आतंकवादी संगठन माना जाता है, लेबनान में इसके समर्थक इसे एक प्रतिरोध बल के रूप में देखते हैं।

आर्थिक चुनौतियाँ:

लेबनान की अर्थव्यवस्था हाल के वर्षों में गंभीर चुनौतियों का सामना कर रही है। देश भारी सार्वजनिक ऋण से जूझ रहा है, और राजनीतिक अस्थिरता और कमजोर बुनियादी ढांचे ने आर्थिक विकास को प्रभावित किया है। कभी लेबनान की अर्थव्यवस्था की रीढ़ माने जाने वाला बैंकिंग सेक्टर भ्रष्टाचार और वित्तीय कुप्रबंधन के कारण संकट में है।

2020 में बेरूत में हुए भीषण विस्फोट ने लेबनान की आर्थिक स्थिति को और खराब कर दिया। इस विस्फोट से राजधानी का बड़ा हिस्सा नष्ट हो गया, 200 से अधिक लोग मारे गए, और हजारों घायल हुए। यह घटना भ्रष्टाचार और सरकारी लापरवाही की गहरी समस्याओं को उजागर करती है, जो लंबे समय से लेबनान में व्याप्त हैं।

सीरियाई शरणार्थी संकट:

2011 में शुरू हुए सीरियाई गृहयुद्ध ने लेबनान पर गहरा असर डाला है। लेबनान ने 10 लाख से अधिक सीरियाई शरणार्थियों को शरण दी है, जिससे इसकी जनसंख्या का अनुपात काफी बढ़ गया है। इस शरणार्थी संकट ने लेबनान की अर्थव्यवस्था, संसाधनों, और सामाजिक ढांचे पर भारी दबाव डाला है, जिससे सामाजिक और राजनीतिक तनाव उत्पन्न हुए हैं।

सांस्कृतिक और धार्मिक विविधता:

अपने संघर्षों के बावजूद, लेबनान अपनी समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर और धार्मिक विविधता के लिए प्रसिद्ध है। देश में 18 आधिकारिक रूप से मान्यता प्राप्त धार्मिक समूह हैं, जिनमें विभिन्न ईसाई संप्रदाय, सुन्नी और शिया मुस्लिम, और ड्रूज़ शामिल हैं। यह विविधता लेबनान की संस्कृति, त्यौहारों, व्यंजनों, और वास्तुकला

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