भारत और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) ने नागरिक परमाणु सहयोग के लिए समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए।
भारत और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) ने सोमवार को पहली बार नागरिक परमाणु सहयोग के लिए समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए। यह समझौता न्यूक्लियर पावर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (NPCIL) और एमिरेट्स न्यूक्लियर एनर्जी कंपनी (ENEC)-संचालित बराकाह न्यूक्लियर पावर प्लांट ऑपरेशंस और मेंटेनेंस के बीच हुआ। यह समझौता अबू धाबी के क्राउन प्रिंस शेख खालिद बिन मोहम्मद बिन जायद अल नहयान की भारत यात्रा के दौरान हुआ।
अगस्त 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यूएई यात्रा के दौरान, दोनों देशों ने "परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण उपयोग" पर सहयोग करने पर सहमति व्यक्त की थी, जिसमें "सुरक्षा, स्वास्थ्य, कृषि और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी" के क्षेत्र शामिल थे। कूटनीतिक सूत्रों ने बताया कि NPCIL और ENEC के बीच इस तरह का समझौता पहले कभी नहीं हुआ था। यह समझौता यूएई की परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में निवेश विस्तार की नीति का हिस्सा है।
त्रिपक्षीय सहयोग
सोमवार को हुआ समझौता भारत और यूएई के बीच परमाणु सहयोग संबंधी कई वर्षों की चर्चा का परिणाम है। 19 सितंबर 2022 को फ्रांस, भारत और यूएई के विदेश मंत्रियों ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के अवसर पर न्यूयॉर्क में मुलाकात की और त्रिपक्षीय सहयोग प्रारूप शुरू किया। इसके बाद 4 फरवरी 2023 को तीनों मंत्रियों के बीच फोन पर बातचीत हुई। विदेश मंत्रालय ने कहा कि इस त्रिपक्षीय पहल से "ऊर्जा के क्षेत्र में, विशेष रूप से सौर और परमाणु ऊर्जा पर ध्यान केंद्रित करते हुए, सहयोग परियोजनाओं को बढ़ावा देने का मंच तैयार होगा।"
अबू धाबी के क्राउन प्रिंस शेख खालिद बिन मोहम्मद बिन जायद अल नहयान को दिन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा नई दिल्ली में हैदराबाद हाउस में होस्ट किया गया।
एलएनजी आपूर्ति
परमाणु सहयोग से संबंधित समझौते के अलावा, दोनों पक्षों ने अबू धाबी नेशनल ऑयल कंपनी (ADNOC) और इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन लिमिटेड के बीच दीर्घकालिक एलएनजी आपूर्ति के लिए एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए। ADNOC और इंडिया स्ट्रेटजिक पेट्रोलियम रिजर्व लिमिटेड (ISPRL) के बीच एक और समझौता भी हुआ। इसके अलावा, उर्जा भारत और ADNOC ने अबू धाबी ऑनशोर ब्लॉक 1 के लिए एक उत्पादन रियायत समझौते पर हस्ताक्षर किए। पांचवां समझौता गुजरात सरकार और अबू धाबी डेवलपमेंटल होल्डिंग कंपनी PJSC (ADQ) के बीच भारत में फूड पार्क्स के विकास पर हुआ। भारत और यूएई I2U2 समूह का हिस्सा हैं, जिसमें इज़राइल और संयुक्त राज्य अमेरिका भी शामिल हैं, और जिसके तहत गुजरात और मध्य प्रदेश में फूड पार्क्स की योजना बनाई गई थी। गुजरात में फूड पार्क्स से संबंधित समझौते को इस समूह की विस्तार योजना के रूप में देखा जा रहा है।
अबू धाबी के क्राउन प्रिंस की भारत यात्रा और समझौते दोनों पक्षों के बीच के गतिशील संबंधों को उजागर करते हैं, जबकि पहली बार भारत-गल्फ कोऑपरेशन काउंसिल (GCC) विदेश मंत्रियों की बैठक सऊदी राजधानी रियाद में 8-9 सितंबर को हुई। रियाद में भारत-GCC मंत्री स्तरीय बैठक के लिए अपने उद्घाटन भाषण में, विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने गाजा की स्थिति पर चिंता व्यक्त की और कहा, “GCC वैश्विक ऊर्जा आपूर्ति की रीढ़ है। भारत दुनिया के सबसे बड़े और सबसे तेजी से बढ़ते बाजारों में से एक है। भविष्य की अधिकांश मांग हमसे ही आएगी।”
भारत-यूएई परमाणु ऊर्जा समझौता: द्विपक्षीय सहयोग में एक मील का पत्थर
भारत और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) ने परमाणु सहयोग पर एक ऐतिहासिक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं, जो उनके द्विपक्षीय संबंधों में एक प्रमुख मील का पत्थर है। यह समझौता अबू धाबी के क्राउन प्रिंस शेख खालिद बिन मोहम्मद बिन जायद अल नहयान की नई दिल्ली यात्रा के दौरान हुआ, जिसका उद्देश्य परमाणु ऊर्जा संयंत्रों के संचालन और रखरखाव में सहयोग को बढ़ाना, परमाणु सामान और सेवाओं की आपूर्ति, और अधिक क्षेत्रों में सहयोग करना है।
समझौते के मुख्य प्रावधान
इस समझौते में निम्नलिखित प्रमुख क्षेत्र शामिल हैं:
1. संचालन और रखरखाव: दोनों देश परमाणु ऊर्जा संयंत्रों के संचालन और रखरखाव में सर्वोत्तम प्रथाओं और विशेषज्ञता को साझा करेंगे, जिससे प्रदर्शन और सुरक्षा सुनिश्चित होगी।
2. परमाणु सामान और सेवाओं की आपूर्ति: भारत और यूएई परमाणु सामान और सेवाओं की आपूर्ति में सहयोग करेंगे, जिससे आपसी व्यापार और आर्थिक सहयोग को बढ़ावा मिलेगा।
3. परमाणु सुरक्षा और विनियमन: इस समझौते में परमाणु सुरक्षा और विनियमन पर जोर दिया गया है, जिसमें दोनों देश इस क्षेत्र में विशेषज्ञता और सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
4. प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण: समझौता प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण कार्यक्रमों के प्रावधान करता है, जिससे दोनों देशों के कर्मी परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में अपने कौशल और ज्ञान को बढ़ा सकें।
समझौते का महत्व
यह समझौता दोनों देशों के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण है:
1. ऊर्जा सुरक्षा: यह समझौता भारत को अपनी बढ़ती ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने में मदद करेगा, जबकि यूएई को भारत की परमाणु ऊर्जा विशेषज्ञता से लाभ होगा।
2. आर्थिक सहयोग: यह समझौता दोनों देशों के बीच व्यापार और आर्थिक सहयोग को बढ़ावा देने की संभावना है, खासकर परमाणु ऊर्जा और संबंधित क्षेत्रों में।
3. रणनीतिक साझेदारी: यह समझौता भारत और यूएई के बीच रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करता है, जो ऊर्जा और सुरक्षा जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में उनके सहयोग की प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करता है।
समझौता भारत-यूएई परमाणु ऊर्जा सहयोग के क्षेत्र में भविष्य में और सहयोग की संभावना को खोलता है, जिसमें संयुक्त उपक्रम, प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और क्षेत्रीय सहयोग शामिल हो सकते हैं।
समझौते की सफलता के लिए आगे के संभावित कदम इस प्रकार हैं:
भविष्य की संभावनाएं
1. संयुक्त उपक्रम: भारत और यूएई परमाणु ऊर्जा संयंत्रों के निर्माण, संचालन और रखरखाव में संयुक्त उपक्रमों का पता लगा सकते हैं।
2. प्रौद्योगिकी हस्तांतरण: यह समझौता यूएई से भारत में उन्नत परमाणु प्रौद्योगिकियों के हस्तांतरण की सुविधा प्रदान कर सकता है, जिससे भारत की परमाणु ऊर्जा क्षमताओं में वृद्धि हो सकती है।
3. क्षेत्रीय सहयोग: यह समझौता क्षेत्रीय सहयोग के एक मॉडल के रूप में काम कर सकता है, जिससे परमाणु ऊर्जा को बढ़ावा देने में शांति और स्थिरता को प्रोत्साहित किया जा सके।
चुनौतियाँ और चिंताएँ
हालांकि यह समझौता महत्वपूर्ण वादा करता है, कुछ चुनौतियों और चिंताओं पर ध्यान देने की आवश्यकता है:
1. परमाणु सुरक्षा: परमाणु ऊर्जा की संवेदनशील प्रकृति को देखते हुए, सुरक्षा और संरक्षण को प्राथमिकता देनी होगी।
2. सार्वजनिक धारणा: परमाणु ऊर्जा के बारे में सार्वजनिक चिंताओं और धारणाओं का समाधान करना इस समझौते की सफलता के लिए महत्वपूर्ण होगा।
3. नियामक ढांचे: प्रभावी सहयोग के लिए नियामक ढांचे को सामंजस्यपूर्ण बनाना और अंतरराष्ट्रीय मानकों का पालन सुनिश्चित करना आवश्यक होगा।
भारत-यूएई परमाणु ऊर्जा समझौता द्विपक्षीय सहयोग में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है, जो ऊर्जा सुरक्षा, आर्थिक सहयोग और रणनीतिक साझेदारी के क्षेत्र में वादा करता है। हालाँकि चुनौतियों और चिंताओं पर ध्यान देने की आवश्यकता है, यह समझौता दोनों देशों के बीच परमाणु ऊर्जा सहयोग के एक उज्जवल भविष्य के लिए मार्ग प्रशस्त कर सकता है।
कार्यान्वयन रोडमैप
इस समझौते की सफलता के लिए निम्नलिखित कार्यान्वयन योजना पर विचार किया जा सकता है:
1. **अल्पकालिक (2023-2025)**:
- सहयोग की निगरानी के लिए एक संयुक्त कार्य समूह का गठन।
- सहयोग और ज्ञान-साझाकरण के क्षेत्रों की पहचान।
- परमाणु सुरक्षा और विनियमन के लिए एक ढांचे का विकास।
2. **मध्यकालिक (2025-2030)**:
- परमाणु ऊर्जा संयंत्र निर्माण और संचालन में संयुक्त उपक्रमों का कार्यान्वयन।
- प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और क्षमता निर्माण कार्यक्रमों को सुचारू करना।
- परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में व्यापार और आर्थिक सहयोग को बढ़ावा देना।
3. **दीर्घकालिक (2030-2040)**:
- परमाणु ऊर्जा सहयोग में महत्वपूर्ण प्रगति प्राप्त करना।
- नए सहयोग क्षेत्रों का अन्वेषण, जैसे परमाणु अपशिष्ट प्रबंधन और परमाणु संयंत्रों की बंदी।
- भारत और यूएई के बीच रणनीतिक साझेदारी को और अधिक सुदृढ़ बनाना।
भारत के लिए लाभ
1. **ऊर्जा सुरक्षा**: स्वच्छ और विश्वसनीय ऊर्जा का बेहतर उपयोग।
2. **आर्थिक वृद्धि**: व्यापार और आर्थिक सहयोग को बढ़ावा।
3. **प्रौद्योगिकी उन्नति**: उन्नत परमाणु प्रौद्योगिकियों तक पहुंच।
यूएई के लिए लाभ
1. **ऊर्जा विविधीकरण**: स्वच्छ ऊर्जा के हिस्से में वृद्धि।
2. **आर्थिक विविधीकरण**: व्यापार और निवेश के अवसर।
3. **रणनीतिक साझेदारी**: एक प्रमुख क्षेत्रीय खिलाड़ी के साथ संबंध मजबूत करना।
इस रोडमैप का पालन करके और चुनौतियों का समाधान करते हुए, भारत-यूएई परमाणु ऊर्जा समझौता अपनी पूरी क्षमता तक पहुँच सकता है, दोनों राष्ट्रों को लाभान्वित कर सकता है और क्षेत्रीय शांति और स्थिरता में योगदान दे सकता है।
भारत-यूएई परमाणु ऊर्जा समझौते का वैश्विक प्रभाव
यह समझौता वैश्विक स्तर पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालने की क्षमता रखता है:
1. **स्वच्छ ऊर्जा को बढ़ावा**: यह समझौता वैश्विक स्वच्छ ऊर्जा परिवर्तन का समर्थन करता है, ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन को कम करने और जलवायु परिवर्तन को कम करने में मदद करेगा।
2. **ऊर्जा सुरक्षा को बढ़ावा**: यह भारत और यूएई दोनों के लिए ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत करेगा, जिससे जीवाश्म ईंधनों पर निर्भरता घटेगी और ऊर्जा स्रोतों में विविधता आएगी।
3. **अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा**: यह समझौता परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के लिए एक उदाहरण बनेगा, अन्य देशों को भी ऐसे साझेदारियों का पता लगाने के लिए प्रेरित करेगा।
4. **सतत विकास का समर्थन**: स्वच्छ ऊर्जा प्रदान करके, यह समझौता सतत विकास को प्रोत्साहित करेगा, जो आर्थिक विकास और सामाजिक प्रगति का समर्थन करेगा।
5. **परमाणु अप्रसार**: यह समझौता परमाणु अप्रसार के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है, क्योंकि दोनों देश अंतर्राष्ट्रीय परमाणु सुरक्षा और सुरक्षा मानकों का पालन करेंगे।
6. **आर्थिक लाभ**: यह समझौता महत्वपूर्ण आर्थिक लाभ उत्पन्न करेगा, जिसमें निवेश, व्यापार और रोजगार सृजन शामिल हैं।
7. **क्षेत्रीय स्थिरता**: यह समझौता भारत और यूएई के बीच संबंधों को मजबूत करेगा और क्षेत्रीय शांति और सुरक्षा में योगदान करेगा।
8. **प्रौद्योगिकी उन्नति**: यह समझौता परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में तकनीकी प्रगति की ओर ले जा सकता है, जिससे नवाचार और दक्षता में सुधार होगा।
9. **वैश्विक शासन**: यह समझौता प्रभावी वैश्विक शासन का एक उदाहरण है, जहां देश सामान्य चुनौतियों का समाधान करने और साझा लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए मिलकर काम करते हैं।
10. **भविष्य के सहयोग के लिए रास्ता**: यह समझौता अन्य क्षेत्रों में भविष्य के सहयोग, जैसे नवीकरणीय ऊर्जा, ऊर्जा भंडारण और ग्रिड प्रबंधन के लिए मार्ग प्रशस्त कर सकता है।
वैश्विक प्रतिक्रिया
भारत-यूएई परमाणु ऊर्जा समझौते को लेकर वैश्विक प्रतिक्रिया सकारात्मक रही है, विभिन्न देशों और संगठनों ने इस साझेदारी की महत्वपूर्णता को स्वीकार किया है:
1. **अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA)**: IAEA ने इस समझौते का स्वागत किया है और इसके शांतिपूर्ण परमाणु ऊर्जा को बढ़ावा देने और वैश्विक अप्रसार प्रयासों का समर्थन करने की क्षमता को सराहा है।
2. **संयुक्त राज्य अमेरिका**: अमेरिका ने इस समझौते का समर्थन किया है, इसे स्वच्छ ऊर्जा और क्षेत्रीय स्थिरता को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण मानते हुए।
3. **यूरोपीय संघ**: यूरोपीय संघ ने इस समझौते की सराहना की है और इसे जलवायु परिवर्तन से निपटने और सतत विकास को बढ़ावा देने में योगदान करने वाला माना है।
4. **चीन**: चीन ने इस समझौते को क्षेत्रीय सहयोग बढ़ाने और शांतिपूर्ण परमाणु ऊर्जा को बढ़ावा देने की दिशा में एक सकारात्मक कदम के रूप में स्वीकार किया है।
5. **रूस**: रूस ने इस समझौते का स्वागत किया है और इसे भारत-रूस-यूएई के बीच परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में त्रिपक्षीय सहयोग को मजबूत करने की संभावना के रूप में देखा है।
6. **अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (IEA)**: IEA ने इस समझौते की प्रशंसा की है, इसके ऊर्जा सुरक्षा, ग्रीनहाउस गैसों में कमी और वैश्विक ऊर्जा संक्रमण के लिए संभावित योगदान को मान्यता दी है।
7. **विश्व परमाणु संघ**: विश्व परमाणु संघ ने इस समझौते की सराहना की है, इसे परमाणु ऊर्जा सहयोग, वैश्विक अप्रसार प्रयासों और जलवायु परिवर्तन से निपटने में महत्वपूर्ण माना है।
8. **वैश्विक परमाणु ऊर्जा समुदाय**: वैश्विक परमाणु ऊर्जा समुदाय ने इस समझौते का स्वागत किया है, इसे नवाचार को बढ़ावा देने, सुरक्षा में सुधार करने और विश्व स्तर पर परमाणु ऊर्जा के विकास का समर्थन करने वाला माना है।
कुल मिलाकर, भारत-यूएई परमाणु ऊर्जा समझौते के प्रति वैश्विक प्रतिक्रिया ने इसकी महत्वता को मान्यता दी है, क्योंकि यह शांतिपूर्ण परमाणु ऊर्जा को बढ़ावा देने, वैश्विक अप्रसार प्रयासों का समर्थन करने और जलवायु परिवर्तन से निपटने में मदद करेगा।
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