अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस (8 सितंबर) पर विशेष लेख


अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस का परिचय:

अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस हर साल 8 सितंबर को मनाया जाता है। इसका उद्देश्य विश्व भर में साक्षरता के महत्व को उजागर करना और उन लोगों तक शिक्षा की पहुंच को सुनिश्चित करना है, जो अभी तक शिक्षा से वंचित हैं। साक्षरता सिर्फ पढ़ना-लिखना ही नहीं है, बल्कि यह व्यक्ति को समाज का जिम्मेदार नागरिक बनने में मदद करती है। संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) ने 1966 में इसे एक महत्वपूर्ण दिवस के रूप में घोषित किया था। 
भारत में साक्षरता के आंकड़ों की बात करें तो देश ने पिछले कुछ दशकों में साक्षरता दर में महत्वपूर्ण सुधार किया है। हालांकि, अभी भी बहुत से क्षेत्रों में सुधार की आवश्यकता है, खासकर ग्रामीण इलाकों और कुछ पिछड़े वर्गों में। यहां कुछ महत्वपूर्ण आंकड़े दिए जा रहे हैं जो साक्षरता दर को बेहतर तरीके से समझने में मदद करेंगे:

1. राष्ट्रीय साक्षरता दर:

भारत की कुल साक्षरता दर 2021 के अनुमान के अनुसार लगभग 77.7% है। यह दर पुरुषों और महिलाओं के बीच अलग-अलग है, जिसमें पुरुषों की साक्षरता दर लगभग 84.7% और महिलाओं की साक्षरता दर लगभग 70.3% है।

2. राज्य-स्तरीय साक्षरता दर:

भारत के विभिन्न राज्यों में साक्षरता दर में भारी अंतर देखा जाता है। कुछ प्रमुख राज्यों के साक्षरता दर निम्नलिखित हैं:

- केरल: 96.2% (भारत में सबसे अधिक)
- बिहार: 61.8% (भारत में सबसे कम)
- तमिलनाडु: 80.1%
- महाराष्ट्र: 82.3%
- उत्तर प्रदेश: 73.0%

3. ग्रामीण और शहरी साक्षरता दर:

भारत में शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों के बीच भी साक्षरता में काफी अंतर है। शहरी क्षेत्रों की साक्षरता दर लगभग 87.7% है, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में यह 73.5% है। यह अंतर विशेष रूप से महिलाओं में अधिक देखा जाता है, जहां ग्रामीण इलाकों में महिलाओं की साक्षरता दर बहुत कम है।

4. लैंगिक असमानता:

पुरुषों और महिलाओं के बीच साक्षरता दर में अंतर अभी भी चिंता का विषय है। राष्ट्रीय स्तर पर पुरुषों की साक्षरता दर 84.7% है, जबकि महिलाओं की साक्षरता दर 70.3% है। हालांकि, यह अंतर पिछले कुछ वर्षों में कम हुआ है, लेकिन कुछ राज्यों और ग्रामीण क्षेत्रों में यह अंतर बहुत अधिक है।

5. आयु-समूह आधारित साक्षरता:

15-24 वर्ष के आयु समूह में साक्षरता दर उच्चतम है, जहां 90% से अधिक युवा साक्षर हैं। यह दर धीरे-धीरे आयु बढ़ने के साथ घटती है, खासकर 60 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों में, जहां साक्षरता दर काफी कम होती है।

6. प्रौढ़ साक्षरता:

भारत में प्रौढ़ साक्षरता दर भी धीरे-धीरे बढ़ रही है। प्रौढ़ों के लिए कई सरकारी योजनाओं और अभियानों के कारण, इस वर्ग में भी शिक्षा की जागरूकता बढ़ी है। 

7. डिजिटल साक्षरता:

भारत में डिजिटल साक्षरता को भी बढ़ावा दिया जा रहा है। ‘डिजिटल इंडिया’ और ‘प्रधानमंत्री ग्रामीण डिजिटल साक्षरता अभियान’ जैसी योजनाओं के तहत, ग्रामीण क्षेत्रों में लगभग 60 मिलियन से अधिक लोगों को डिजिटल रूप से साक्षर बनाने का लक्ष्य रखा गया है। 

8. शिक्षा तक पहुंच:

राष्ट्रीय साक्षरता मिशन और सर्व शिक्षा अभियान के तहत देश में स्कूली शिक्षा तक पहुंच बढ़ाने के प्रयास किए गए हैं। इससे प्राथमिक स्तर पर नामांकन दर में वृद्धि हुई है, लेकिन उच्च शिक्षा और माध्यमिक स्तर पर ड्रॉपआउट दर अब भी चुनौती बनी हुई है।

इन आंकड़ों से स्पष्ट होता है कि साक्षरता दर में सुधार हो रहा है, लेकिन लैंगिक असमानता, क्षेत्रीय असमानता और डिजिटल साक्षरता जैसी चुनौतियां अभी भी बनी हुई हैं। इनका समाधान करने के लिए विभिन्न सरकारी और गैर-सरकारी संगठनों को मिलकर काम करने की आवश्यकता है।
अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता आंकड़ों पर एक नज़र डालें तो वैश्विक स्तर पर भी साक्षरता के क्षेत्र में महत्वपूर्ण प्रगति हुई है, लेकिन विभिन्न देशों और क्षेत्रों में अब भी असमानताएँ बनी हुई हैं। नीचे अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दर और उससे संबंधित महत्वपूर्ण आंकड़ों का विवरण दिया गया है:

1. वैश्विक साक्षरता दर:

यूनेस्को (UNESCO) के 2021 के आंकड़ों के अनुसार, विश्व की औसत साक्षरता दर लगभग 86% है। हालांकि, यह दर विभिन्न देशों और क्षेत्रों में अलग-अलग है। विकासशील देशों में साक्षरता दर अपेक्षाकृत कम है, जबकि विकसित देशों में यह लगभग 99% तक है।

2. क्षेत्रीय साक्षरता दर:

• उत्तरी अमेरिका और यूरोप: इन क्षेत्रों में साक्षरता दर लगभग 99% है। यहाँ अधिकांश लोग शिक्षा के बुनियादी स्तर पर पहुँच चुके हैं, और डिजिटल साक्षरता भी उच्च स्तर पर है।
  
• एशिया: एशिया की साक्षरता दर में बड़े अंतर देखने को मिलते हैं। पूर्वी एशिया (जापान, दक्षिण कोरिया) में साक्षरता दर 95% से अधिक है, जबकि दक्षिण एशियाई देशों (भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश) में यह लगभग 75-80% के बीच है।
  
• अफ्रीका: सब-सहारन अफ्रीका (Sub-Saharan Africa) में साक्षरता दर सबसे कम है। यहाँ औसत साक्षरता दर 65% के आसपास है। विशेष रूप से महिलाओं और ग्रामीण समुदायों में साक्षरता दर बहुत कम है। 

• लैटिन अमेरिका: लैटिन अमेरिका और कैरिबियन क्षेत्रों की औसत साक्षरता दर लगभग 93% है, हालांकि कुछ पिछड़े क्षेत्रों में यह दर 80% से कम है।

3. लैंगिक असमानता:

वैश्विक साक्षरता में लैंगिक असमानता एक बड़ी समस्या है। विश्व स्तर पर, महिलाओं की साक्षरता दर पुरुषों की तुलना में लगभग 7% कम है। विशेष रूप से अफ्रीका और दक्षिण एशिया में महिलाओं की साक्षरता दर पुरुषों की तुलना में काफी कम है।
  
• उत्तरी अफ्रीका: इस क्षेत्र में पुरुषों की साक्षरता दर 78% है जबकि महिलाओं की साक्षरता दर 65% है।
• दक्षिण एशिया: यहां पुरुषों की साक्षरता दर लगभग 80% है जबकि महिलाओं की दर 67% के आसपास है।

4. बच्चों की साक्षरता और शिक्षा:

• वैश्विक स्तर पर लगभग 250 मिलियन बच्चे ऐसे हैं, जिनकी पढ़ाई तक पहुंच नहीं है या वे स्कूल छोड़ चुके हैं।
• अफ्रीका और दक्षिण एशिया में प्राथमिक शिक्षा की पहुँच में अभी भी सुधार की आवश्यकता है। संयुक्त राष्ट्र का लक्ष्य 2030 तक सभी बच्चों को गुणवत्तापूर्ण प्राथमिक शिक्षा प्रदान करना है।

5. प्रौढ़ साक्षरता (Adult Literacy):

विकासशील देशों में वयस्कों की साक्षरता दर अभी भी कम है। वैश्विक स्तर पर लगभग 773 मिलियन वयस्क (15 वर्ष से अधिक आयु) अभी भी साक्षर नहीं हैं। इनमें से दो-तिहाई महिलाएं हैं, जो लैंगिक असमानता की ओर इशारा करता है। सब-सहारन अफ्रीका और दक्षिण एशिया में अधिकांश अशिक्षित वयस्क निवास करते हैं।

6. डिजिटल साक्षरता:

डिजिटल साक्षरता का महत्व बढ़ रहा है, लेकिन यह भी एक प्रमुख असमानता का क्षेत्र है। विकसित देशों में लगभग 90% आबादी इंटरनेट का उपयोग कर रही है, जबकि विकासशील देशों में यह आंकड़ा 30% से कम है। अफ्रीका और दक्षिण एशिया में डिजिटल साक्षरता की स्थिति विशेष रूप से कमजोर है।

7. शरणार्थी और प्रवासी आबादी:

संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, दुनिया में लगभग 80 मिलियन से अधिक शरणार्थी और प्रवासी आबादी है, जिनकी साक्षरता दर सामान्य आबादी की तुलना में काफी कम है। शरणार्थी बच्चों के लिए शिक्षा की पहुँच एक बड़ी चुनौती है, और विश्वभर में लगभग 50% शरणार्थी बच्चे स्कूलों में नामांकित नहीं हैं।

8. शिक्षा और गरीबी:

विश्व बैंक के अनुसार, गरीबी और शिक्षा के बीच सीधा संबंध है। विकासशील देशों में शिक्षा की कमी से गरीबी की दर बढ़ती है। शिक्षा में निवेश से न केवल व्यक्तिगत विकास होता है, बल्कि यह देश के आर्थिक विकास में भी योगदान देता है।

9. सतत विकास लक्ष्य (SDGs) और साक्षरता:

संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्य (SDGs) में साक्षरता को महत्वपूर्ण रूप से शामिल किया गया है। "गुणवत्तापूर्ण शिक्षा" (Goal 4) का उद्देश्य 2030 तक सभी बच्चों और वयस्कों को साक्षर बनाना और सभी के लिए शिक्षा को सुलभ बनाना है।

इन आंकड़ों से स्पष्ट होता है कि वैश्विक स्तर पर साक्षरता में सुधार के बावजूद, अभी भी कई देशों और क्षेत्रों में महत्वपूर्ण चुनौतियां बनी हुई हैं। विशेष रूप से लैंगिक असमानता, डिजिटल साक्षरता, और प्रौढ़ शिक्षा के क्षेत्र में ध्यान देने की आवश्यकता है।

साक्षरता का महत्व:

साक्षरता मानव जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह व्यक्ति के मानसिक, सामाजिक, और आर्थिक विकास में योगदान देती है। एक साक्षर व्यक्ति समाज में अधिक योगदान दे सकता है और अपनी संभावनाओं को बेहतर तरीके से समझ सकता है। यह विकासशील देशों में गरीबी उन्मूलन और जीवनस्तर सुधारने का एक प्रमुख साधन है।

वैश्विक साक्षरता स्थिति:

दुनिया में साक्षरता की स्थिति में महत्वपूर्ण सुधार हुआ है, फिर भी लाखों लोग अभी भी अशिक्षित हैं। विशेष रूप से गरीब और विकासशील देशों में साक्षरता की दर अपेक्षाकृत कम है। यूनिसेफ और यूनेस्को जैसे संगठनों ने विश्व भर में साक्षरता को बढ़ाने के लिए विभिन्न कार्यक्रम चलाए हैं। इसके बावजूद, विकासशील देशों में महिलाएं, बच्चे, और ग्रामीण समुदाय अभी भी साक्षरता से वंचित हैं।

भारत में साक्षरता की स्थिति:

भारत ने साक्षरता के क्षेत्र में महत्वपूर्ण प्रगति की है। हालांकि स्वतंत्रता के समय भारत की साक्षरता दर बहुत कम थी, लेकिन सरकार द्वारा चलाए गए विभिन्न कार्यक्रमों जैसे ‘सर्व शिक्षा अभियान’, ‘मिड-डे मील योजना’, और ‘प्रौढ़ शिक्षा योजना’ ने साक्षरता दर को सुधारने में मदद की है। वर्तमान में, राष्ट्रीय साक्षरता दर में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में अभी भी चुनौतियां बरकरार हैं। 

साक्षरता के लिए सरकार के प्रयास:

भारतीय सरकार ने साक्षरता को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं शुरू की हैं। इनमें सर्व शिक्षा अभियान, राष्ट्रीय साक्षरता मिशन, और बच्चों को निशुल्क और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार (RTE) शामिल हैं। इन योजनाओं ने बच्चों, महिलाओं और प्रौढ़ों के बीच शिक्षा की जागरूकता को बढ़ाने का काम किया है। इसके अलावा, डिजिटल शिक्षा के माध्यम से भी शिक्षा को सुलभ बनाने का प्रयास किया जा रहा है।

महिलाओं और साक्षरता:

साक्षरता के क्षेत्र में महिलाओं की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। एक शिक्षित महिला न केवल स्वयं सशक्त होती है, बल्कि अपने परिवार और समाज के लिए भी एक मार्गदर्शक होती है। हालांकि, कई स्थानों पर अब भी महिलाओं को शिक्षा से वंचित रखा जा रहा है, और इस असमानता को दूर करना आवश्यक है। महिलाओं की शिक्षा से जनसंख्या नियंत्रण, स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार, और आर्थिक स्वतंत्रता जैसी समस्याओं का समाधान किया जा सकता है।

प्रौढ़ शिक्षा:

भारत में प्रौढ़ शिक्षा एक महत्वपूर्ण विषय है। जो लोग बचपन में शिक्षा प्राप्त नहीं कर पाए, उनके लिए प्रौढ़ शिक्षा एक नई संभावना प्रदान करती है। ‘राष्ट्रीय साक्षरता मिशन’ और ‘साक्षर भारत अभियान’ जैसी योजनाओं ने वयस्कों के लिए शिक्षा को सुलभ बनाया है। यह योजना विशेष रूप से ग्रामीण और पिछड़े क्षेत्रों में प्रभावी रही है।

साक्षरता और डिजिटल युग:

आज का युग डिजिटल है, और डिजिटल साक्षरता इस समय की एक महत्वपूर्ण आवश्यकता है। डिजिटल साक्षरता का अर्थ है व्यक्ति का कंप्यूटर, इंटरनेट, और अन्य तकनीकी उपकरणों का उपयोग करने में सक्षम होना। यह आज की दुनिया में रोजगार और आर्थिक अवसरों को प्राप्त करने के लिए आवश्यक है। सरकार ने ‘डिजिटल इंडिया’ योजना के तहत डिजिटल साक्षरता को बढ़ावा दिया है, जो ग्रामीण क्षेत्रों में भी लोगों को तकनीकी रूप से सक्षम बना रही है।

साक्षरता और सतत विकास:

साक्षरता सतत विकास के लिए भी आवश्यक है। संयुक्त राष्ट्र ने साक्षरता को सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) का हिस्सा माना है। इसमें सामाजिक समावेशन, लैंगिक समानता, और शांति का भी समावेश है। एक साक्षर समाज ही सतत विकास के लक्ष्यों को प्राप्त कर सकता है, क्योंकि यह शिक्षा को प्रोत्साहित करके समाज के हर वर्ग को विकास की मुख्यधारा में लाने का प्रयास करता है।

अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस की थीम और उद्देश्य:

हर साल अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस की एक विशेष थीम होती है, जो साक्षरता के विभिन्न पहलुओं को उजागर करती है। यह थीम वैश्विक स्तर पर साक्षरता को प्रोत्साहित करने, और लोगों में जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से तय की जाती है। 2023 में, थीम ‘साक्षरता और डिजिटल कौशल’ थी, जिसका उद्देश्य डिजिटल साक्षरता को बढ़ावा देना था।

चुनौतियाँ और समाधान:

साक्षरता के क्षेत्र में कई चुनौतियाँ हैं, जैसे गरीबी, लैंगिक असमानता, और सामाजिक भेदभाव। हालांकि, इन्हें दूर करने के लिए सरकार, गैर-सरकारी संगठनों, और समाज के हर वर्ग को मिलकर काम करने की आवश्यकता है। शिक्षा के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाने, शिक्षा के लिए आवश्यक संसाधन मुहैया कराने, और गरीब तबके को विशेष प्रोत्साहन देने से इन चुनौतियों का समाधान किया जा सकता है।

निष्कर्ष 

अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस केवल एक दिन का आयोजन नहीं है, बल्कि यह हमारे समाज में साक्षरता के महत्व को रेखांकित करने का एक अवसर है। शिक्षा केवल पढ़ने-लिखने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह समाज के हर व्यक्ति को जीवन में आगे बढ़ने, समस्याओं का समाधान करने, और समाज में बदलाव लाने की क्षमता प्रदान करती है। हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि समाज के हर वर्ग तक शिक्षा पहुंचे और एक साक्षर और समावेशी समाज का निर्माण हो।


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